शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज भाग 19 भूतिया बंगला
रमाकान्त और उसका परिवार आज नये मकान में आये थे। उनका सामान ट्रक से नीचे उतारा जारहा था। रमाकान्त की पत्नी सरला को इस नये मकान को देखकर कुछ अजीव सा महसूस होरहा था।
सरला अपने पति से पूछने लगी," मुझे यह मकान कुछ अजीव लग रहा है जैसे इसमे बहुत दिन से कोई नही रह रहा हो। मुझे कुछ डर सा लग रहा है।"
रमाकान्त ने उसे समझाते हुए कहा," सरला इन बडे शहरौ मे किराये का मकान ढूढ़ना भी एक जंग जीतना है। यह मकान बहुत दिनौ से बन्द पडा़ था। इसलिए इतना बडा़ मकान इतने सस्ते किराये पर मिल गया है।"
परन्तु इतना बडा़ मकान हमे किस लिए लेना था। छोटा मकान लेलेते लेकिन कोई ढंग का मकान लेलेते। मुझसे इसमें झाडू़ भी नही लग सकेगा। सरला ने जबाब दिया।
" तु म्हें तो मेरी सभी बातौ में कमी निकालनै की आदत है। यदि छोटा लेलेता तो कहती इतना छोटा क्यौ लिया है।", रमाकान्त ने जबाब दिया।
सरला को मकान की दीवारे व फर्श देख कर कुछ अजीव लग रहा था उसे अन्दर से डर भी लग रहा था। परन्तु अब कर भी क्या सकती थी। क्यौकि उन्हौने उसका दो महीने का किराया भी एडवान्स भी देदिया था।
सरला ने सफाई करके धीरे धीरे सामान सैट करना शुरू कर दिया। रमाकान्त अपने आफिस जाने लगा। बेटेआकाश का स्कूल मेंएडमीशन करवा दिया । आकाश भी स्कूल जाने लगा था।
मकान में एक कमरा बन्द था उसमें मकान मालिक ने अपना सामान रखकर ताला लगा रखा था।
सरला एक दिन दोपहर को सोरही थी सोते हुए उसे कुछ गिरने की आवाज आई। और उसकी नींद खुल गयी । उसने देखा फूलदान गिर कर टूट गया था। उसने सोचा शायद बिल्ली होगी।
परन्तु उसे वहाँ बिल्ली नजर नहीं आई उसने इस पर अधिक गौर नही किया। अब ऐसा हर रोज होने लगा हर दिन कुछ न कुछ गिरकर टूटने लगा। एक दिन तो उसके सिर के पास गिरा। उसके सिर पर चोट लगते लगते बची।
अब सरला बहुत डर गयी । उसने अपने पति को यह बात बताई और मकान बदलने की कहने लगी। रमाकान्त ने पत्नी को समझाया कि कभी कभी इस तरह के हादसे होते रहते है। इन पर हमें ध्यान नही देना चाहिए।
परन्तु सरला के मन में भूत प्रेत की बात आरही थी। उसी दिन एक पडौ़स में रहने वालीऔरत ने उसे यह कर डरा दिया कि इस मकान में एक आदमी की हत्या कर दीगयी थी उसका साया आज भी यहाँ घूमता है।
अब सरला को पक्का यकीन होगया कि यहाँ कुछ तो है जो उसे पहले दिन से डरा रहा है। एक दिन उसका बेटा आकाश भागकर अपनी माँ से लिपट कर रोने लगा कि वहा कोई काली चादर ओढ़कर बैठा है उसके दांत बाहर को निकले हुए है।
उसी समय उसका एक और फूलदान उसके पैर पर गिर गया और उसके पैर से खून बहने लगा।
सरला का भ्रम अब यकीन में बदलता जारहा था।एकदिन सरला को अपने पीछे से किसी के द्वारा गर्दन को पकड़ता नजर आया और उसके गर्दन पर खरौच के निशान भी लग चुके थे।
आज उसने अपने पति को बताया तब उसके पति को भी यकीन आरहा था और वह किसी ओझा को लेकर आया। उस ओझाने भी उसे इस मकान को छोड़ने के लिए समझाया।
इतनी जल्दी मकान मिलना भी मुश्किल था अतः उसने कुछ दिन के लिए उस ओझा से कुछ उपाय करने को कहा।
ओझा नेँ उसकी बात मानकर उनको तीन ताबीज बांधने को दिए और रात को एक दीपक जलते रहने को कहा।
रमाकान्त ने बैसा ही किया । परन्तु चीजौ का गिरकर टूटना नहीं रुका। अब रात को आवाजै और आने लगी थी।
रमाकान्त ने अपनी पत्नी व बेटे को कुछ दिन के लिए उसके मायके भेज दिया। और स्वयं आफिस में सोने लगा।
इसके बाद उसने जब दूसरा मकान किराये पर लेलिया तब सरला व बेटे को बुलाया।
शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज प्रतियोगिता हेतु रचना
जानर:- हारर
नरेश शर्मा " पचौरी"
Kusam Sharma
03-Jun-2022 08:52 AM
Nice
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Naresh Sharma "Pachauri"
21-May-2022 09:55 PM
सभी को धन्यवाद जी
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Neelam josi
21-May-2022 04:53 PM
Very nice 👌
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